इसे यह नाम यों ही नहीं मिल गया, बल्कि इसके पीछे है इसकी मनमोहक भूसंरचना, मनोहारी वानिकी सौन्दर्य और नदियों, धारों, गाड गधेरों व निर्मल हिम के रूप में विद्यमान विशाल जलश्रोत, जिस कारण हमेशा से ही महामनीषियों ने इसका रुख किया और इसको देवभूमि का दर्ज़ा देकर एक धरोहर के रूप में हमें सौप दिया।